खुशबू जब भी हवा से
उसका पता पूछा करती
हवा भी उस
घर के फूलो से मिला करती
तन्हाई में खिली
रात रानी
अक्सर ही उसके घर पर मिला करती
रात रानी
अक्सर ही उसके घर पर मिला करती
वेसे तो हंसती थी बेवजह
आज मुस्कराने पर भी
क्यों सोचा करती ?
मंजुल भटनागर
क्यों सोचा करती ?
मंजुल भटनागर
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